भारतीय ऋषि परम्परा के आधुनिक दैदीप्यमान नक्षत्र स्वामी दयानंद सरस्वती का उज्ज्वल प्रकाश एवं उनका सत्यार्थप्रकाश विशव का मार्ग दर्शक है। मूलशंकर से शुद्ध चैतन्य और फिर सन्यासी के ध्यान – पथ पर ‘ सत्यं परं धीमहि’ निरंतर बना रहा। उनका जीवन लोकहितार्थ था। सामाजिक कुरीतियों यथा धर्मान्धता, छुआ छूत, अंधविशवास, पाखण्ड, जातिगत भेदभाव, अशिक्षा का घोर विरोध करने वाले, स्त्री स्वतंत्रता और शिक्षा के अदम्य पक्षधर स्वामी दयानंद जीवनभर इनके लिए प्रयास करते रहे।’ सत्य के प्रकाशक स्वामी दयानंद सरस्वती महाऋषि दयानंद जी का प्रेणाधायी जीवन चरित है। इसमें वर्णित स्वामी जी के जीवन की अनेक घटनाएं और इनके निहितार्थ बाल व किशोर विद्यार्थियों के जीवन को स्वास्थ, सुंदर और सुयोग्य तथा संस्कारी बना राष्ट्र सेवा के मार्ग पर अग्रसर करेंगें।
Satya Ke Prakashak Swami Dayanand Saraswati- सत्य के प्रकाशक स्वामी दयानंद सरस्वती
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समर्थ गुरु रामदास का नाम उन महान संतों में आता है जिन्होंने अपनी तेजस्वी वाणी से भारत की सोई हुई आत्मा को जगा दिया। मुगलों के आतंक से पीड़ित समाज में नव प्राण फूंक दिए और हिन्दू पद पातशाही की स्थापना के लिए शिवाजी को प्रेरित करके हिन्दू जाति को पतन से बचा लिया। महाराष्ट्र उनको हनुमान जी का अवतार कहकर उनकी पूजा करता है। उनके पावन चरित्र का चित्रण इस पुस्तक में बड़ी भावपूर्ण भाषा में लिखा गया है।
Weight | .050 kg |
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Dimensions | 21.6 × .5 × 13.97 cm |
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