Dhara Par Laye Bhagwat Bhasha- धरा पर लाये भगवद् भाषा

70.00

बार-बार राज्य परिवर्तनों के कारण दुनियाँ के अनेक राष्ट्र बिखर गये। अपनी अस्मिता-संस्कृति-भाषा को भुला बैठे। किन्तु जिनकी आत्मा में जेरुसलेम और हीब्रू भाषा बसी रही, ऐसा यहूदी समाज, अपनी मातृभूमि से दो हजार वर्षों तक दूर रहकर भी अपनी संस्कृति की जड़ों से कटा नहीं। हीब्रू भाषा को पुनर्प्रतिष्ठित करने के इस अभियान को प्रारम्भ करने और गति देने वाले उस ज़िद्दी बेनयहूद की संघर्ष गाथा भुवमानीता भगवद्भाषा है।

Categories: , ,

बार-बार राज्य परिवर्तनों के कारण दुनियाँ के अनेक राष्ट्र बिखर गये। अपनी अस्मिता-संस्कृति-भाषा को भुला बैठे। किन्तु जिनकी आत्मा में जेरुसलेम और हीब्रू भाषा बसी रही, ऐसा यहूदी समाज, अपनी मातृभूमि से दो हजार वर्षों तक दूर रहकर भी अपनी संस्कृति की जड़ों से कटा नहीं। हीब्रू भाषा को पुनर्प्रतिष्ठित करने के इस अभियान को प्रारम्भ करने और गति देने वाले उस ज़िद्दी बेनयहूद की संघर्ष गाथा भुवमानीता भगवद्भाषा है।

Weight .180 kg
Dimensions 21.6 × .9 × 13.97 cm
Author

Height

ISBN

Language

No. of Pages

Weight

Width

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dhara Par Laye Bhagwat Bhasha- धरा पर लाये भगवद् भाषा”

Your email address will not be published. Required fields are marked *