1857 के संग्राम में देश के सामान्य जातिवर्ग के युवकों के साथ ही जनजातीय नौजवानों को भी उन तत्कालीन परिस्थितियों ने उद्वेलित किया था, जिसके कारण वे देश-धर्म के लिए बलिदान हो गये। स्वतन्त्रता संघर्ष में देश के जनजातीय समाज के उल्लेऽनीय तथा गौरवपूर्ण योगदान से देश का विशेषतः युवा वर्ग अभी तक अनभिज्ञ है। इस महासमर में जनजातीय समाज के सामान्य स्त्री-पुरुष, बाल-युवा-वृद्ध के संघर्षों, बलिदानों तथा हुतात्माओं से यह देश परिचित हो और आज की युवा पीढ़ी अपने बलिदानियों के जीवन से प्रेरणा लेकर देश के लिए समर्पित जीवन जीने हेतु उठ खड़ी हो, यही इस पुस्तक का लक्ष्य है।
Kranti Path Ke Rahi Janjatiya Veer- क्रांति पथ के राही जनजातीय वीर
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
Weight | .270 kg |
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Dimensions | 21.6 × 1.4 × 13.97 cm |
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