आचार्य प्रफुल्लचन्द्र राय को यदि ‘आधुनिक भारतीय रसायनशास्त्र के पितामह’ की संज्ञा दी जाए तो अतिशयोक्ति न होगी। प्राचीन भारतीय मनीषियों के वैज्ञानिक अनुसंधानों को संकलित कर Hindu Chemistry नामक ग्रन्थ की रचना करना, उसे विश्व पटल पर भारत के ज्ञान गौरव के रूप में प्रतिष्ठापित करना, यह एक वैज्ञानिक के रूप में तो उनका महत्वपूर्ण अवदान है ही, भारतमाता के एक सपूत का कर्तृत्व भी है। वैज्ञानिक होने के साथ उनका तन-मन-धन- चिंतन-आचरण तथा सम्पूर्ण जीवन ही राष्ट्रीयत्व के प्रति गौरव से भरा हुआ था। राष्ट्रगौरव की अनुभूति हो, यही इस पुस्तक का उद्देश्य है।
Bhartiya Rsayan Shastar ke Bhishma Pitamah Aacharya Prafull chandra Rai- भारतीय रसायनशास्त्र के भीष्म पितामह आचार्य प्रफुल्लचंद्र राय
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
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Dimensions | 21.6 × .5 × 13.97 cm |
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