Sudh Lekhan Aur Hindi Ka Manak Roop- शुद्ध लेखन और हिंदी का मानक रूप

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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

हिन्दी भारत की राज्य भाषा ही नहीं अपितु सारे विश्व में जहां – जहां भी भारतीय जाकर बसे हैं, उन सबकी गौरव भाषा है। प्रस्तुत पुस्तक को इस भाषा के परिष्कार की दृष्टि से इसका देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता साहित्यिक जगत का परिचित कराया गया है। पुस्तक का चार अध्यायों में विभत्तफ़ किया गया है। पहले अध्याय में शुद्ध लेखन साहित्यिक जगत का परिचित कराया गया है । दूसरे में अशुद्धियों से मुत्तिफ़ पाने के उपायों वर्णन है । तीसरे अध्याय का विषय भाषिक प्रदूषण से परिष्कार है और चौथे अध्याय अध्याय मानकीकरण की पूरी प्रक्रिया का विशुद्ध विवेचन है।