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So Phir Bhaado Garji- सो फिर भादों गरजी
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भारत की लोक परम्पराएं तथा लोक संस्कृति बड़ी समृद्ध है। इसमें जब हृदय की भावनाएं शब्दों का रूप धारण करके निकलती रहती हैं। यह लोक संस्कृति आजकल लुप्त प्रायः होती जा रही है। परन्तु इसकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि इस लोक संस्कृति को मिटाना संभव नहीं है। समय-समय पर इस संस्कृति को अभिव्यक्ति करने के लिए सुधी लेखिका महोदया ने बड़ी हृदयस्पर्शी निबन्ध तथा लेख लिखे हैं जिनमें इस संस्कृति के प्रति गहरा मोह टपकता है। इनमें जीवन का माधुर्य और आनंद भरा पड़ा है। लोक संस्कृति में रुचि रखने वाले सभी साहित्यकारों के लिए एक-एक निबन्ध प्रेरणा का स्रोत है। उन्हें लगेगा कि यह लोक संस्कृति जीवन के कल्याण का अनुष्ठान करती है।
भारत की लोक परम्पराएं तथा लोक संस्कृति बड़ी समृद्ध है। इसमें जब हृदय की भावनाएं शब्दों का रूप धारण करके निकलती रहती हैं। यह लोक संस्कृति आजकल लुप्त प्रायः होती जा रही है। परन्तु इसकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि इस लोक संस्कृति को मिटाना संभव नहीं है। समय-समय पर इस संस्कृति को अभिव्यक्ति करने के लिए सुधी लेखिका महोदया ने बड़ी हृदयस्पर्शी निबन्ध तथा लेख लिखे हैं जिनमें इस संस्कृति के प्रति गहरा मोह टपकता है। इनमें जीवन का माधुर्य और आनंद भरा पड़ा है। लोक संस्कृति में रुचि रखने वाले सभी साहित्यकारों के लिए एक-एक निबन्ध प्रेरणा का स्रोत है। उन्हें लगेगा कि यह लोक संस्कृति जीवन के कल्याण का अनुष्ठान करती है।
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