Indian Heroism in Israel

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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

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विश्व के प्रथम महायुद्ध में इजरायल तुर्की साम्राज्य के अधीन दासता की बेड़ियों में फंसा हुआ था। सितम्बर 1918 में वहां की जनता ने इन दासता की जंजीरों को तोड़ने के लिए स्वतंत्रता संग्राम चलाया। यह बहुत छोटा सा परन्तु स्वाभिमानी देश है। यहां के यहूदी जाति के लोगों ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। भारत ने भी इजरायल स्वतंत्रता संग्राम में अपने वीर सैनिक भेजे। इजरायल को तुर्की से मुत्तफ़ कराने में 900 से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान देकर इजरायल को मुत्तफ़ कर दिया ।