Subtotal: ₹70.00
Hum Nirmankarta Hai Ya Srjanakarta- हम निर्माणकर्ता हैं या सृजनकर्ता
₹30.00
विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान भारत का शिक्षा जगत का सबसे बड़ा संगठन है जिसका उद्देश्य एक अभिनव शिक्षा पद्धति को प्रस्थापित करना है जो इस भूमि की परंपराओं से जुड़ी हो इस दृष्टि से सभी कार्यकर्ताओं को यह बोध कराने हेतु कि हम निर्माण करता है या सृजन करता यह लघु पुस्तिका अत्यंत ज्ञानवर्धक है विशेषकर यह महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गई है कि हिंदुत्व का विचार संसार के अन्य मजहब से जिन्हें भ्रम वश धर्म कह दिया जाता है किस दृष्टि से भिन्न तथा श्रेष्ठ है इसमें धर्म को ठीक ढंग से परिभाषित भी किया गया है इस विषय पर भारत के उच्च विचारक माननीय श्री रंगा हरि जी के चार उद्बोधन का संकलन इस पुस्तिका में किया गया इसमें हमारी वंदना तथा अभ्युदय और श्रेयस जो धर्म के दूसरे हैं उनका भी बहुत विशद तथा स्पष्ट वर्णन किया गया है जिससे प्रत्येक कार्यकर्ता लाभान्वित हो सकता है और समाज का उचित मार्गदर्शन कर सकता है।
विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान भारत का शिक्षा जगत का सबसे बड़ा संगठन है जिसका उद्देश्य एक अभिनव शिक्षा पद्धति को प्रस्थापित करना है जो इस भूमि की परंपराओं से जुड़ी हो इस दृष्टि से सभी कार्यकर्ताओं को यह बोध कराने हेतु कि हम निर्माण करता है या सृजन करता यह लघु पुस्तिका अत्यंत ज्ञानवर्धक है विशेषकर यह महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गई है कि हिंदुत्व का विचार संसार के अन्य मजहब से जिन्हें भ्रम वश धर्म कह दिया जाता है किस दृष्टि से भिन्न तथा श्रेष्ठ है इसमें धर्म को ठीक ढंग से परिभाषित भी किया गया है इस विषय पर भारत के उच्च विचारक माननीय श्री रंगा हरि जी के चार उद्बोधन का संकलन इस पुस्तिका में किया गया इसमें हमारी वंदना तथा अभ्युदय और श्रेयस जो धर्म के दूसरे हैं उनका भी बहुत विशद तथा स्पष्ट वर्णन किया गया है जिससे प्रत्येक कार्यकर्ता लाभान्वित हो सकता है और समाज का उचित मार्गदर्शन कर सकता है।
Reviews
There are no reviews yet.