Gyan Ki Baat-1- ज्ञान की बात-1

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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

भारतीय समाज सदैव से ज्ञाननिष्ठ एवं ज्ञान पिपासु रहा है। सत्य के अन्वेषण का प्रयास विश्वभर में, सब देशों और संस्कृतियों में हुआ, जिसको स्तर पर पहुंच कर सन्तुष्टि हो गई, वह वहीं रुक गया। ज्ञान के साथ-साथ अज्ञान की भी अवधारणा को समझना; ज्ञान कैसे अर्जित हो, इसके लिए ज्ञानार्जन के करणों की भूमिका को समझना और उन्हें अधिक सक्रिय करने के प्रयासों की स्पष्टता और इन सबसे आगे बढ़ कर अर्जित ज्ञान का विनियोग किस प्रकार आत्मोन्नति-समाजोन्नति-राष्ट्रोन्नति के लिए करना, यह सभी भारत की ज्ञान-परम्परा के विवेच्य विषय रहे हैं। निश्चित ही यह पुस्तक भारत की ज्ञान परम्परा के साधकों, जिज्ञासुओं-अभ्यासुओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

Weight .140 kg
Dimensions 21.84 × .8 × 13.97 cm
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