संगठन के कार्यकर्ता के रूप में एक विशिष्ट वैचारिक अधिष्ठान के परिप्रेक्ष्य में अपने कार्य की दिशा पर विचार करने के निमित्त समय-समय पर अपने वरिष्ठ मार्गदर्शकों के उद्बोधन हमें प्राप्त होते रहते हैं। देश-काल-परिस्थिति, कार्य की आवश्यकता तथा किसी विशेष दिशा में कदम बढ़ाने के समय इन उद्बोधनों में से सहज ही ऐसी विचारणीय बातें ध्यान में आती हैं जिनको सुन या पढ़कर सहसा ही मन में प्रतिक्रिया आती है – “अरे! इतनी साधारण सी बात मुझे ध्यान में क्यों नहीं आई?” वास्तव में वह बात साधारण नहीं, अति विशिष्ट, गंभीर और महत्वपूर्ण होती है; बस, उसके कहने-बताने की पद्धति तथा भाषा सरल-सहज होती है।
Bhartiya Jeevan drishti avam vaishvik sandharbh mein unki Bhoomika-भारतीय जीवन दृष्टि एवं वैश्विक संदर्भ में उसकी भूमिका
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
Weight | .080 kg |
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Dimensions | 21.59 × .5 × 13.97 cm |
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Author | वासुदेव प्रजापति |
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