आचार्य ब्रह्मगुप्त जैसे प्रमुख गणिताचार्य, जिन्होंने वर्गमूल एवं घनमूल ज्ञात करने, त्रिभुज तथा चक्रीय चतुर्भुज का क्षेत्रफल तथा चक्रीय चतुर्भुज की भुजाएँ ज्ञात होने पर उसके कर्णों की लम्बाई ज्ञात करने के सूत्र समाज को दिए, उनके व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व पर प्रामाणिक जानकारी देने वाली यह पुस्तक गणित के शिक्षकों, शोधार्थियों, गणित-रसिकों के साथ-साथ सामान्य पाठक के लिए भी ज्ञानवर्द्धक व रुचिकर है।
Bhartiya Ganitagya Avam Khagolvid Aacharya Brahmagupt- भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलविद आचार्य ब्रह्मगुप्त
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
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Dimensions | 21.6 × .5 × 13.97 cm |
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