Aarsh Sahitya Ka Sanshipt Parichay- आर्ष साहित्य का संक्षिप्त परिचय

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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

भारत का आर्ष साहित्य बहुत विशाल है । संसार में किसी भी अन्य संस्कृति के पास इतना बड़ा भंडार नहीं है । जिन ग्रन्थों पर हमें गौरव होना चाहिए , उनके नाम से भी हमारे प्रबुद्धजन परिचित नहीं हैं । इस दृष्टि से यह अति आवश्यक था कि अपने शिक्षा मनीषियों को इस विशाल सामग्री से परिचित कराया जाए। ससार में प्राचीनतम ग्रन्थ वेद हैं । इस महान कार्य को यह पुस्तक पूरा करने में बहुत महत्वपूर्ण है । वेद , वेदांग, उपनिषद् स्मृतियां, पुराण, दर्शन इत्यादि का संक्षिप्त परिचय इस पुस्तक के अध्ययन से प्राप्त हो जाता है । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को जो भारत की गरिमामयी साहित्य राशि से अवगत होना चाहता है । यह पुस्तक महत्त्वपूर्ण ज्ञान का भंडार है ।