भारतीय शिक्षा में मैकाले जैसे भारत द्रोही व्यक्तियों ने जो विकार उत्पन्न कर दिये, उनके कारण शिक्षा प्राप्त युवक के जीवन में नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से विकृतियां उत्पन्न हो गयी हैं। इस शिक्षा से निकला हुआ युवक देश की धरती और परम्पराओं से बिल्कुल कट गया है। विद्या भारती की दार्शनिक पृष्ठ भूमि राष्ट्र की संकल्पना तथा भारतीय शिक्षा में परिवर्तन की दिशा आदि बहुत से महत्वपूर्ण विषयों पर शुद्ध भारतीय दृष्टि से सोचने वाले शिक्षाविद् लज्जाराम तोमर जी ने बहुत से लेख लिखे हैं। इन सबका संकलन और संपादन इस पुस्तक में किया गया है। शिक्षा को नई दिशा देने की दृष्टि से और बालक-बालिकाओं को स्वदेश निष्ट बनाने की दृष्टि से यह पुस्तक कार्यकताओं में नई संक्रांति पैदा करेगी।
Vidya Bharti Chintan Ki Disha- विद्या भारती चिंतन की दिशा
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
Weight | .380 kg |
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Dimensions | 22.86 × 1.4 × 15.24 cm |
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