Shree Maa- श्री माँ

30.00

जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

Categories: , ,

श्री माँ फ्राँस में जन्मीं परन्तु महर्षि अरविंद के दिव्य दर्शन से प्रभावित होकर भारत की संस्कृति से एकाकार हो गईं। महायोगी अरविंद ने इस धरा पर दिव्य जीवन की स्थापना का श्रेष्ठ दर्शन दिया और कहा कि यह कार्य केवल भारत ही कर सकता है जिसके लिए उन्होंने एक शिक्षा पद्धति भी दी थी। श्री माँ उनकी सहयोगी रहीं और जीवन भर अखण्ड भारत की साधना में तथा उस शिक्षण पद्धति के प्रसार में लगी रहीं। उनके दिव्य जीवन की प्रेरणाप्रद झांकी इस पुस्तक में है।