Shishu Vatika Pathyakram Avam Kriyaklap- शिशु वाटिका पाठ्यक्रम एवं क्रियाकलाप

12.00

जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

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बालक को शिशु अवस्था से ही जैसे संस्कार मिलेंगे, बड़ा होकर वह वैसा ही नागरिक बनेगा। छोटी अवस्था में ही पौधे को जिधर मोड़ दें वह उधर को ही विकसित होगा और बड़ा होने पर उसकी दिशा नहीं बदली जा सकेगी। इस दृष्टि से विद्या भारती ने शिशु वाटिकाओं का एक जाल देश में बिछाया हुआ है। इन वाटिकाओं में दी जाने वाली शिक्षा का पाठ्यक्रम और वह ज्ञान उनके जीवन में कैसे उतरे इसके लिए क्रिया कलापों का विवरण इस पुस्तक में संकलित है। यह पुस्तक शिशुओं के जीवन को संस्कारित करने वाले क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए बहुत उपयोगी रहेगी।

Weight .030 kg
Dimensions 21.08 × .5 × 13.97 cm
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