प्राचीन भारत की शिक्षा पद्धति में बालक के सर्वांगीण विकास पर पूरा बल दिया जाता था जिसमें निरोग काया और स्वस्थ शरीर को सभी धर्मो में पालन का आधारभूत माध्यम माना जाता था। विद्या भारती ने भी बच्चों में सर्वांगीण विकास हेतु शारीरिक शिक्षा को बहुत महत्व प्रदान किया है और इसे पाँच अनिवार्य विषयों में से एक माना है। हमारे मनीषी कहते हैं प्रथम सुख निरोगी काया है। इस शारीरिक शिक्षा को विधिवत रूप से चलाने के लिये पूर्व प्राथमिक से लेकर कक्षा दशम तक के लिये यह सुनियोजित पाठ्यक्रम तैयार किया गया है जो सभी विद्यालयों में अनिवार्य रूप से चलाया जा रहा है।


Sharirik Shiksha Pathyakram- शरीरिक शिक्षा पाठ्यक्रम
₹35.00
प्राचीन भारत की शिक्षा पद्धति में बालक के सर्वांगीण विकास पर पूरा बल दिया जाता था जिसमें निरोग काया और स्वस्थ शरीर को सभी धर्मो में पालन का आधारभूत माध्यम माना जाता था। विद्या भारती ने भी बच्चों में सर्वांगीण विकास हेतु शारीरिक शिक्षा को बहुत महत्व प्रदान किया है और इसे पाँच अनिवार्य विषयों में से एक माना है। हमारे मनीषी कहते हैं प्रथम सुख निरोगी काया है। इस शारीरिक शिक्षा को विधिवत रूप से चलाने के लिये पूर्व प्राथमिक से लेकर कक्षा दशम तक के लिये यह सुनियोजित पाठ्यक्रम तैयार किया गया है जो सभी विद्यालयों में अनिवार्य रूप से चलाया जा रहा है।
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