Savtantrata Sangram Ke Bal Balidani- स्वतंत्रता संग्राम के बाल बलिदानी

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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

देश पर मर मिटने या किसी भी प्रकार देश के काम आने के लिए उम्र का कोई बन्धन नहीं होता। देशभक्ति के पाठ पढ़ने के लिए कोई न्यूनतम आयु नहीं होती। पुस्तिका में कुछ चुनी हुई गाथाओं को संकलित किया गया है। केवल एक झांकी दिखाने के लिए कि 6-7 से 16-17 वर्ष की छोटी आयु में देश की स्वतंत्रता पाने के लिए कैसे देश के हर प्रांत, हर वर्ग, हर जाति व हर आयु के बच्चों ने हँसते-हँसते अपना बलिदान दे दिया। ये प्रसंग बहुत कम हैं लेकिन इतना अवश्य है कि इन्हें पढ़कर आप ऐसे अन्य बाल नायकों के बारे में खोजने, जानने, पढ़ने और उनसे प्रेरित होने के लिए उत्सुक हो सकें।