Pran Pushpu Ko Chada Gata Hu Vande Matram- प्राण पुष्पों को चढ़ा, गाता हूं वंदे मातरम्

25.00

रचित बाल नाटक प्रयास है – भारत के स्वातन्त्र्य समर में प्राणोत्सर्ग करने वाले गुमनामी के अँधेरों में खो गए कुछ नामों से नई पीढ़ी को परिचित कराने का ; भारत की स्वाधीनता के जयघोष ‘ वन्दे मातरम् ‘ के मुख से आधुनिक पीढ़ी के प्रतीक बालक – बालिका को सुनाई गई कथा के ताने- बाने में अमर शहीद खुदीराम बोस के व्यक्तित्व को साकार करने का; अपने बाल- किशोरों के मन में अपने उन शहीदों के प्रति श्रद्धाभाव उत्पन्न करने का ; इस देश की पावन माटी के प्रति माता – पुत्र सम्बन्ध विकसित करने का ।

रचित बाल नाटक प्रयास है – भारत के स्वातन्त्र्य समर में प्राणोत्सर्ग करने वाले गुमनामी के अँधेरों में खो गए कुछ नामों से नई पीढ़ी को परिचित कराने का ; भारत की स्वाधीनता के जयघोष ‘ वन्दे मातरम् ‘ के मुख से आधुनिक पीढ़ी के प्रतीक बालक – बालिका को सुनाई गई कथा के ताने- बाने में अमर शहीद खुदीराम बोस के व्यक्तित्व को साकार करने का; अपने बाल- किशोरों के मन में अपने उन शहीदों के प्रति श्रद्धाभाव उत्पन्न करने का ; इस देश की पावन माटी के प्रति माता – पुत्र सम्बन्ध विकसित करने का ।

Weight .040 kg
Dimensions 21.59 × .5 × 13.97 cm
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