Rabha Jaati Ki Lok Kathaye- राभा जाति की लोक कथाएं

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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

पूर्वोत्तर राज्यों में भौगोलिक- प्रशासनिक विविधता तथा यहाँ की निवासी विभिन्न जनजातियों की अलग- अलग भाषाओं, वेश- भूषाओं, उपासना पद्धतियों, इष्ट देवताओं के स्वरूपों के होते हुए भी हृदयों में एक भारत धड़कता है। असम राज्य के निचले भाग तथा मेघालय राज्य के गारो पर्वत अंचल में बसने वाली ‘राभा’ जनजाति इस क्षेत्र की एक प्रमुख जनजाति है। इस जनजाति के सदस्यों में बोली जाने वाली ‘राभा’ भाषा कुछ समय पहले तक बोली मात्र थी, अब इसे लिखित स्वरूप प्राप्त हुआ है। पुस्तक में वर्णित लोक कथाएँ अत्यन्त रोचक तथा सामाजिक-सांस्कृतिक-नैतिक मूल्यों के जागरण तथा उन्हें लोकमानस में प्रतिष्ठा प्रदान करने की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध तथा प्रभावी हैं।

Weight .080 kg
Dimensions 21.59 × .5 × 13.97 cm
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