विश्व के प्रथम महायुद्ध में इज़रायल तुर्की साम्राज्य के अधीन दासता की बेड़ियों में फंसा हुआ था। सितम्बर 1918 में वहां की जनता ने इन दासता की जंजीरों को तोड़ने के लिए स्वतंत्रता संग्राम चलाया। यह बहुत छोटा सा परन्तु स्वाभिमानी देश है। यहां के यहूदी जाति के लोगों ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। भारत ने भी इज़रायल स्वतंत्रता संग्राम में अपने वीर सैनिक भेजे। इज़रायल को तुर्की से मुक्त कराने में 900 से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान देकर इज़रायल को मुक्त करवा दिया। यह पुस्तक उन वीरों की शौर्य गाथा है। इज़रायल की सरकार आज भी इन वीरों की समाधियों को बड़ी श्रद्धापूर्वक देखभाल करती है तथा वहां के इतिहास में उनके नाम तथा पराक्रम का वर्णन है।
Israel Mein Bhartiya Veero Ki Shoryagatha- इजरायल में भारतीय वीरों की शौर्यगाथा (हिन्दी)
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विश्व के प्रथम महायुद्ध में इज़रायल तुर्की साम्राज्य के अधीन दासता की बेड़ियों में फंसा हुआ था। सितम्बर 1918 में वहां की जनता ने इन दासता की जंजीरों को तोड़ने के लिए स्वतंत्रता संग्राम चलाया। यह बहुत छोटा सा परन्तु स्वाभिमानी देश है। यहां के यहूदी जाति के लोगों ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। भारत ने भी इज़रायल स्वतंत्रता संग्राम में अपने वीर सैनिक भेजे। इज़रायल को तुर्की से मुक्त कराने में 900 से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान देकर इज़रायल को मुक्त करवा दिया। यह पुस्तक उन वीरों की शौर्य गाथा है। इज़रायल की सरकार आज भी इन वीरों की समाधियों को बड़ी श्रद्धापूर्वक देखभाल करती है तथा वहां के इतिहास में उनके नाम तथा पराक्रम का वर्णन है।
Weight | .100 kg |
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Dimensions | 21.6 × .5 × 13.97 cm |
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