Hum Saraswati Putar- हम सरस्वती पुत्र

60.00

विद्यालय में छात्रों के सर्वाधिक निकट रहने वाले, उन्हें शिक्षा देने वाले, छात्रों के व्यक्तित्व को अपने स्पर्श से समुचित दिशा देने वाले, शिक्षक हैं। कैसी होनी चाहिए उनकी मानसिक तैयारी ? दुर्योग से, कैरियर के रूप में शिक्षक बनना आज के युवा वर्ग की प्राथमिकता सूची में शायद सबसे नीचे है। अन्य जॉब्स खोज कर असफल हुए, थके हुए तन और हारे हुए मन से शिक्षक की नौकरी ‘ स्वीकार करने वाले शिक्षकों से किसका भला होने वाला है शिक्षा का, छात्र का, विद्यालय का या स्वयं शिक्षक का? गुरु का ‘ गौरव ‘ तो ‘ गुरुत्व ‘ के गुणों से प्राप्त होगा न ? उसकी कितनी तैयारी है आज शिक्षकों में ? लेखक ने विषयबद्ध और व्यावहारिक ढंग से इन्हें प्रस्तुत किया है। जिससे पुस्तक का विषय रोचक तथा प्रेरणादायी बनकर उभरा है।

विद्यालय में छात्रों के सर्वाधिक निकट रहने वाले, उन्हें शिक्षा देने वाले, छात्रों के व्यक्तित्व को अपने स्पर्श से समुचित दिशा देने वाले, शिक्षक हैं। कैसी होनी चाहिए उनकी मानसिक तैयारी ? दुर्योग से, कैरियर के रूप में शिक्षक बनना आज के युवा वर्ग की प्राथमिकता सूची में शायद सबसे नीचे है। अन्य जॉब्स खोज कर असफल हुए, थके हुए तन और हारे हुए मन से शिक्षक की नौकरी ‘ स्वीकार करने वाले शिक्षकों से किसका भला होने वाला है शिक्षा का, छात्र का, विद्यालय का या स्वयं शिक्षक का? गुरु का ‘ गौरव ‘ तो ‘ गुरुत्व ‘ के गुणों से प्राप्त होगा न ? उसकी कितनी तैयारी है आज शिक्षकों में ? लेखक ने विषयबद्ध और व्यावहारिक ढंग से इन्हें प्रस्तुत किया है। जिससे पुस्तक का विषय रोचक तथा प्रेरणादायी बनकर उभरा है।