Bhartiya Shiksha ke Mool Tatav (Marathi)- भारतीय शिक्षा के मूल तत्व (मराठी)

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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

प्राचीन काल में भारत द्वारा विशिष्ट शिक्षा पद्धति विकसित कर पूरे विश्व का सांस्कृतिक नेतृत्व किया। आज स्वतंत्र भारत फिर से अपने मूल की ओर लौटने के लिए प्रयासरत है। इस विचारों पर आधारित महान शिक्षाविद् स्वर्गीय लज्जाराम तोमर जी द्वारा लिखित हिन्दी पुस्तक ‘‘भारतीय शिक्षा के मूल तत्व’’ का यह मराठी अनुवाद है।