अपने देश की ज्ञान सम्पदा के बारे में जानना और उस पर गौरव करना, यह भी शिक्षा का ही भाग है। सौरमण्डल के विभिन्न ग्रहों-उपग्रहों की गति- स्थिति, सूर्यग्रहण- चन्द्रग्रहण आदि के प्रारम्भ और पूर्णता का समय, पूर्णिमा-अमावस्या आदि तिथियों की गणना भारत के पंचांग रचना करने वाले गणिताचार्यों ने तब कर दी थी जब आज के विशिष्ट उपकरण, दूरबीन आदि का आविष्कार नहीं हुआ था, वह गणनाएँ आज भी सटीक हैं। ऐसी अनेक बातें इस पुस्तक में पढ़ने-जानने को मिल जाएंगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में भारतीय ज्ञान परम्परा तथा भारत केन्द्रित शिक्षा का उल्लेख है। अतः यह पुस्तक श्रृंखला पर्याप्त एवं तथ्यपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने में समर्थ है।
Bharat Mein Vedic Ganith Ki Ujjwal Parampara-11- भारत में वैदिक गणित की उज्जवल परंपरा-11
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
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Dimensions | 21.6 × .5 × 13.97 cm |
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