Baal Gita- बाल गीता

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यह मान्यता कि गीता तो वृद्धावस्था में अध्ययन करने के लिए है जब व्यक्ति अपने परिवारिक-आर्थिक विषयों से निवृत्त हो जाता है और चौथेपन में मोक्ष का मार्ग खोजने लगता है लेखिका ने इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया है। बाल्यावस्था-किशोरवस्था में जब जीवन यात्रा का प्रारम्भ होता है और बालक-बालिका अपने जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार हो रहे होते हैं, उस समय गीता की समझ उन्हें तत्व दर्शन भले ही न समझा पाये, किन्तु जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टि विकसित करने में अत्यन्त सहयोगी हो सकती है। गीता की यह अनूठी प्रस्तुति ज्ञानवृद्धि के साथ जीवन निर्माण की प्रेरणा भी देती है।

यह मान्यता कि गीता तो वृद्धावस्था में अध्ययन करने के लिए है जब व्यक्ति अपने परिवारिक-आर्थिक विषयों से निवृत्त हो जाता है और चौथेपन में मोक्ष का मार्ग खोजने लगता है लेखिका ने इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया है। बाल्यावस्था-किशोरवस्था में जब जीवन यात्रा का प्रारम्भ होता है और बालक-बालिका अपने जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार हो रहे होते हैं, उस समय गीता की समझ उन्हें तत्व दर्शन भले ही न समझा पाये, किन्तु जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टि विकसित करने में अत्यन्त सहयोगी हो सकती है। गीता की यह अनूठी प्रस्तुति ज्ञानवृद्धि के साथ जीवन निर्माण की प्रेरणा भी देती है।