Baal Bharti- बाल भारती

18.00

जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

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भारत विश्व का एक विशाल लोकतंत्र है इसको चलाने के लिये लोकतांत्रिक नागरिकों की आवश्यकता है लोकतंत्र की जो सबसे बड़ी आवश्यकता है वह यह कि नागरिक जिम्मेदारी लेना साीखे। छात्रों में यही संस्कार विकसित करने के लिये विद्या भारती ने बाल भारती नाम का संगठन विकसित किया है जो विद्यालयों में प्रधानाचार्य के संरक्षण में छात्रें के लिये छात्रें द्वष्रा ही संचालित होता है। उसमें छात्र संसद, छात्र मंत्री मंडल और छात्र परिषद सम्मिलित है। इस संगठन के स्वरूप संरचना और कार्य प्रणाली और इसकी उपयोगिता को समझने के लिये यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी है।