बालक सीखता है अपने आसपास के वातावरण से, पास-पड़ोस से, मित्र-परिजनों से-प्रत्येक उस स्थान से एवं प्रत्येक उस व्यक्ति से, जहाँ और जिससे उसे प्रेम मिलता है, आनन्द मिलता है, आत्मीयता मिलती है, रोचकता-सरसता अनुभव होती है। कहा तो जाता है कि बालक केन्द्र बिन्दु में है और शिक्षक तथा पालक के सहयोग से और शिक्षक-शिक्षण विषयवस्तु के समन्वय से वह सीखता है। बालक सुनने या देखने मात्र से नहीं, करने से सीखता है। यही करते हुए सीखना (स्मंतदपदह इल कवपदह) ही क्रिया आधारित शिक्षा है। करने से सीखने की अनेक पद्धतियों को इस पुस्तक में संजोया गया है।
Bal kendrit kriya aadharit shiksha- बाल केन्द्रित क्रिया आधारित शिक्षा
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
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Dimensions | 21.59 × 0.7 × 13.97 cm |
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