महानायक लाचित बरफुकन

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महानायक लाचित बरफुकन पुस्तक असमिया समाज की अपने राजा, जिन्हें वे ‘स्वर्गदेव’ कहकर पुकारते हैं, के उनके प्रति अगाध श्रद्धा व निष्ठा का परिचय करवाने वाली है। आहोमों की कर्मठता, उनका देशप्रेम, उनका स्वावलम्बन, उनके द्वारा पराधीनता स्वीकार न करने का दृढ़संकल्प, उनका युद्ध कौशल, विशेषकर नौकायुद्ध में उनकी प्रवीणता और औरंगजेब की विशाल सेना से अन्तिम युद्ध में जब लाचित बरफुकन का भीषण ज्वर की अस्वस्थता में खड़ा होना भी कठिन था, किन्तु अपने सैनिकों को पलायन से रोकने हेतु स्वयं युद्ध लड़कर विजय प्राप्त करना, निश्चय ही प्रत्येक देशवासी के लिए अत्यन्त प्रेरणादायक है। इस पुस्तक को पढ़कर भावी पीढ़ी लाचित बरफुकन के जीवन से प्रेरणा लेगी।