शिक्षा के क्षेत्र में संगीत का महत्व अत्यधिक है। ज्ञानार्जन की प्रक्रिया में कर्मेन्द्रियों-ज्ञानेन्द्रियों तथा अन्तःकरण चतुष्टय अर्थात् मन-बुद्धि- अहंकार-चित्त की भूमिका सर्वविदित है। मन चंचल तथा अस्थिर प्रकृति का होता है। ज्ञानार्जन के लिए एकाग्रता अपरिहार्य है, जिसकी पहली शर्त है मन का शान्त होना। भारत में संगीत की समृद्ध परम्परा का इतिहास है, संगीत का महात्म्य है, संगीत का दर्शन है तथा अनेक आचार्य श्रेष्ठों द्वारा रचित अप्रतिम ग्रंथ हैं। इन सबका संयोजन एक स्थान पर ‘दोहा’ छन्द में, अविकल सात सौ दोहों के माध्यम से किया गया है।
Sur Sarang- सुर सारंग
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
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Dimensions | 24.63 × .6 × 18.54 cm |
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