शिक्षा और संस्कृति के अनिवार्य सम्बन्ध पर आधारित शिक्षा-संस्कृति से संबंधित पुस्तक का यह द्वितीय खण्ड है जिसमें मूल्यपरक शिक्षा पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया गया है। शिक्षा कैसी होनी चाहिए और छात्रों को संस्कार देने में कैसे वातावरण और कैसे शिक्षकों की भूमिका है, इसका विस्तृत चिंतन प्रस्तुत किया गया है। अच्छे समाज के निर्माण में शिक्षा की भूमिका को सभी ने स्वीकार किया है और इस पक्ष को पुस्तक में बहुत विस्तार से प्रतिपादित किया गया है।
Shiksha Sanskriti Chintan-2- शिक्षा-संस्कृति चिन्तन-द्वितीय खंड
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शिक्षा और संस्कृति के अनिवार्य सम्बन्ध पर आधारित शिक्षा-संस्कृति से संबंधित पुस्तक का यह द्वितीय खण्ड है जिसमें मूल्यपरक शिक्षा पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया गया है। शिक्षा कैसी होनी चाहिए और छात्रों को संस्कार देने में कैसे वातावरण और कैसे शिक्षकों की भूमिका है, इसका विस्तृत चिंतन प्रस्तुत किया गया है। अच्छे समाज के निर्माण में शिक्षा की भूमिका को सभी ने स्वीकार किया है और इस पक्ष को पुस्तक में बहुत विस्तार से प्रतिपादित किया गया है।
Weight | .150 kg |
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Dimensions | 21.6 × .8 × 13.97 cm |
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