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Anuboothi- अनुभूति (प्राचार्य सम्मलेन वृत्त)
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
एक विचार मन में आता है, हमें अधिक काम/ दायित्व/जिम्मेदारियाँ क्यों सौंपी जाती हैं? क्योंकि हमारी क्षमता है। हम काम कर सकते हैं, दायित्व निभा सकते हैं, इस प्रकार का विश्वास हमारे बारे में होता है। इसी कारण अधिक दायित्व, जिम्मेदारी, काम हमारे पास आते हैं। कहते हैं the reward of good work is more work अच्छे काम का पुरस्कार क्या होता है? निश्चित रूप से और काम/ दायित्व। काम उसी को सौंपा जाता है जिसकी क्षमता हो। जब हम अनेक प्रकार के दायित्व विश्वास से, बड़ी कुशलता से सम्पन्न करते हैं तब हमारे नेतृत्व को स्वीकार किया जाता है । First we have to prove overselves अन्यथा हमारे आचार्य और अन्य लोग हमारा नेतृत्व स्वीकार नहीं करेंगे।
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