शिक्षा अच्छे मानव बनाकर मनुष्य को देवत्व तक ले जाने का साधन है। भारत के एक मनीषी पूज्य श्री शेषाद्रि जी आचार्यों को आह्नान करके कहते हैं कि आप जैसा संस्कार दोगे, वैसा ही समाज बनेगा। आपका यह शिक्षण कार्य अति पवित्र मानव निर्माण कार्य है। आप अपना गौरव भी समझो कि आप विश्व के गुरु हैं और इस दायित्व को भी अपने ऊपर ग्रहण करो कि आपने ही आने वाले कल का मार्गदर्शन करना है। भारत सदैव विश्व गुरु रहा है और आगे भी रहेगा।
Aap Vastav Mein Vishav Guru Hai – आप वास्तव में विश्व गुरु हैं
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
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Dimensions | 21.6 × .5 × 13.97 cm |
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