भारत की शिक्षा पद्धति की मूलभूत संकल्पनाएँ वर्तमान पीढ़ी के शिक्षकों तथा शिक्षाविदों की जानकारी में ही नहीं हैं। अतः निरन्तर मांग आती थी कि इन संकल्पनाओं की समुचित स्पष्टता के लिए पुस्तकों का प्रकाशन किया जाना चाहिए ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन अधिक व्यावहारिक एवं परिणामकारी हो सके। शिक्षा क्षेत्र की अग्रणी संस्था होने तथा सात दशकों से अनेक शैक्षिक नवाचारी प्रयोगों का प्रत्यक्ष सुदीर्घ अनुभव होने के कारण विद्या भारती ने इस बहुमूल्य सामाजिक उत्तरदायित्व को ग्रहण करना स्वीकार किया। यह पुस्तक, भारतीय शिक्षा की संकल्पनाओं को पुस्तक स्वरूप देने वाले प्रकाशनों की माला का एक पुष्प है।
भारतीय शिक्षा में पंचकोशात्मक विकास एवं समग्र विकास की संकल्पना
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