भारत सभ्यता के आरंभ से ही ज्ञान की साधना और सारे विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाने में रत रहा है। प्राचीन काल में भारत ने अपनी विशिष्ट शिक्षा पद्धति विकसित कर ली थी, जिसके कारण हमारे देश ने सारे विश्व का सांस्कृतिक नेतृत्व किया। अंग्रेजों के शासनकाल में इस शिक्षा पद्धति की उपेक्षा हुई परन्तु आज स्वतंत्र भारत फिर से अपने मूल की ओर लौटने के लिए प्रयासरत है। शिक्षा को प्राचीन परम्पराओं के आधार पर स्थापित करने के लिए उन सभी मूल तत्वों को खोजकर इस पुस्तक में समाहित किया गया है। स्वाधीन भारत में स्वाभिमान को जगाने वाले शिक्षा केन्द्रों की स्थापना की जा सकती है।
Bhartiya Shiksha Ke Mool Tatav- भारतीय शिक्षा के मूल तत्व
₹115.00
भारत सभ्यता के आरंभ से ही ज्ञान की साधना और सारे विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाने में रत रहा है। प्राचीन काल में भारत ने अपनी विशिष्ट शिक्षा पद्धति विकसित कर ली थी, जिसके कारण हमारे देश ने सारे विश्व का सांस्कृतिक नेतृत्व किया। अंग्रेजों के शासनकाल में इस शिक्षा पद्धति की उपेक्षा हुई परन्तु आज स्वतंत्र भारत फिर से अपने मूल की ओर लौटने के लिए प्रयासरत है। शिक्षा को प्राचीन परम्पराओं के आधार पर स्थापित करने के लिए उन सभी मूल तत्वों को खोजकर इस पुस्तक में समाहित किया गया है। स्वाधीन भारत में स्वाभिमान को जगाने वाले शिक्षा केन्द्रों की स्थापना की जा सकती है।
Weight | .360 kg |
---|---|
Dimensions | 21.59 × 1.4 × 14.48 cm |
Author | |
Height | |
ISBN | |
Language | |
No. of Pages | |
Weight | |
Width |
Reviews
There are no reviews yet.