Baal Vinay Patrika- बाल विनय पत्रिका

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‘बाल-विनय पत्रिका’ इस दृष्टि से बाल साहित्यकार श्री गोपाल जी माहेश्वरी का अभिनव प्रयोग कहा जा सकता है। बालक ईश्वर का प्रतिरूप है यह जितना सही है उतना ही यह भी कि इस आयु में ही ईश्वर से अतिशय निकटता रहती है- मन सभी प्रकार की विकृतियों से मुक्त जो होता है। ऐसे में विविध गुणों-जीवनमूल्यों और शक्तियों के प्रदाता देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धाभाव का उदय, भावी जीवन में इन बालकों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए सुसज्ज करेगा। शक्ति-युक्ति तथा भक्ति के सम्मिश्रण से ही जीवन परिपूर्ण बनता है। कविताएं सरल तथा सुग्राह्य हैं जो भक्ति की अंधश्रद्धा भी निर्माण नहीं करती तथा ईश्वर से यदि मांगना तो क्या, कितना और क्यों यह भी शिशुओं को सीखाती है।

‘बाल-विनय पत्रिका’ इस दृष्टि से बाल साहित्यकार श्री गोपाल जी माहेश्वरी का अभिनव प्रयोग कहा जा सकता है। बालक ईश्वर का प्रतिरूप है यह जितना सही है उतना ही यह भी कि इस आयु में ही ईश्वर से अतिशय निकटता रहती है- मन सभी प्रकार की विकृतियों से मुक्त जो होता है। ऐसे में विविध गुणों-जीवनमूल्यों और शक्तियों के प्रदाता देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धाभाव का उदय, भावी जीवन में इन बालकों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए सुसज्ज करेगा। शक्ति-युक्ति तथा भक्ति के सम्मिश्रण से ही जीवन परिपूर्ण बनता है। कविताएं सरल तथा सुग्राह्य हैं जो भक्ति की अंधश्रद्धा भी निर्माण नहीं करती तथा ईश्वर से यदि मांगना तो क्या, कितना और क्यों यह भी शिशुओं को सीखाती है।

Weight .070 kg
Dimensions 24.38 × .5 × 17.78 cm
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