भारतीय चिन्तन के अनुसार शिक्षण बालक, विषय और शिक्षक के बीच एक ऐसा संबंध है जो बालक की अपनी अंतर्निहित शक्तियों के विकास में सहायता देता है तथा बालक के सर्वांगीण विकास के लिये पथ प्रर्दशन करता है। इस दृष्टि से वर्तमान शिक्षा की एक मशीनवत प्रक्रिया को हटाकर एक ऐसी पद्धति का विकास विद्या भारती ने किया है जो प्राचीन भारत में प्रयुक्त कुछ आदर्श शिक्षा पद्धतियों पर आधारित है इसमें पाठ योजना एवं विद्या भारती की अभिनव पंचपदी शिक्षण पद्धति का निर्माण किया गया है। जिसके द्वारा बालक की अभिवृत्तियों का विकास संभव है। नए प्रयोगों की दृष्टि से यह पुस्तक अत्यन्त महत्वपूर्ण है जो शिक्षा जगत में क्रांति ला सकती है।
Vidhya Bharti ki Abhinav Panchpadi Shikshan Padhati- विद्या भारती की अभिनव पंचपदी शिक्षण पद्धति
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
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Dimensions | 22.86 × 1.7 × 15.24 cm |
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