Sanskriti Parwah-1- संस्कृति प्रवाह-1

10.00

जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

वनवासी क्षेत्रों तथा उपेक्षित और मलिन बस्तियों में रहने वाले भी भारत माँ की वैसी ही सन्तान हैं जैसा नगर के प्रबुद्धजन अपने को समझते हैं। ऐसे भोले-भाले बालकों को भी भारतीय संस्कृति के गौरव से परिचित कराने वाली इस छोटी सी पुस्तिका में संस्कृति के अनेक आयाम तथा सन्त-महात्माओं का उज्ज्वल चरित्र बड़ी सरल तथा बाल सुलभ भाषा में दिया गया है जो अवश्य ही उन बालकों में स्वाभिमान, स्वावलंबन तथा स्वदेश प्रेम का भाव भर देगा।

Weight .030 kg
Dimensions 21.6 × .5 × 13.97 cm
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