संत रविदास केवल सन्त के रूप में ही प्रतिष्ठित नहीं हैं, अपितु उनका व्यक्तित्व समाज सुधारक, क्रान्तिकारी चिंतक और उत्कृष्ट युगपुरुष के रूप में अभिव्यक्त हुआ है, जिनके जीवन चरित ने वर्तमान समाज को एक नई ज्योति प्रदान की है। भारत के राजनैतिक इतिहास में भक्ति आन्दोलन का काल बड़ा महत्वपूर्ण है और इस संकटकालीन युग में रविदास जैसे सन्तों ने भारत में नवोत्साह भरकर संस्कृति का कैसे संरक्षण किया है, इसका विवरण पुस्तिका में बड़े रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
Maan Changa Toh Katauti Mein Ganga- मन चंगा तो कठौती में गंगा
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
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Dimensions | 21.6 × .5 × 13.97 cm |
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