Dayitav Bodh- दायित्व बोध – छात्रों में विकास के लिए विद्यालयीन गतिविधियाँ

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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

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विद्यार्थियों में बाल्यावस्था से ही दायित्वबोध का जागरण करना होता है। विद्यालयों में आयोजित होने वाले विविध कार्यक्रम, गतिविधियाँ तथा दिशादर्शन इसके लिए माध्यम बनते हैं। कार्यक्रम क्या होने चाहिए, क्यों किए जायें, कौन प्रमुख भूमिका में रहे, आचार्य बन्धु-बहनों का सहयोग तथा मार्गदर्शन किस प्रकार का हो, कार्यक्रम सरस- रोचक-प्रेरणादायी तथा उद्देश्यपरक कैसे हों, इन सब बातों की जानकारी के समेकित अभिलेख की उपलब्धता का अभाव पिछले कुछ समय से अनुभव किया जा रहा था। पुस्तक में इन्हीं सब बातों का उल्लेख केवल कार्यपद्धति के दिशादर्शी सिद्धान्तों तक सीमित नहीं रखा गया बल्कि प्रत्यक्ष उदाहरणों से स्पष्ट किया है। योजना में आने वाले नवीन आचार्यों के लिए यह उपयोगी होगा।

Weight .090 kg
Dimensions 21.6 × .5 × 13.97 cm
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