स्वामी विवेकानन्द की परम शिष्या लन्दन में स्वामी जी से प्रभावित होकर भारत आ गई। उनका चरित्र भारत के लिए प्रेरणा का दीप स्तम्भ बन गया। मूल नाम मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल था हिन्दू धर्म में दीक्षित होकर ‘भगिनी निवेदिता’ बन गई और सारा जीवन भारत की अपेक्षित जनता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनके जीवन का कण-कण और क्षण-क्षण भारत भक्ति के महायज्ञ में आहुति बन कर समर्पित हो गया। पुस्तक उस समर्पण की प्रेरणा प्रद गाथा है। उनके जीवन तथा भारत के नव जागरण के कार्यों का अत्यन्त भावपूर्ण चित्रण लेखक ने अपनी लेखनी से किया है जिसको पढ़कर हमारे जीवन में भी अपनी लेखनी से किया है जिसको पढ़कर हमारे जीवन में भी अपने देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा उत्पन्न हो जाती है। आशा है कि पाठक पुस्तक का अवलोकन तथा पाठन इसी दृष्टि से तथा अपने अन्दर क्रिया शक्ति जगाने के लिए करेंगे।



Bhagini Nivedita (Bahurangi)- भगिनी निवेदिता (बहुरंगी)
₹75.00
स्वामी विवेकानन्द की परम शिष्या लन्दन में स्वामी जी से प्रभावित होकर भारत आ गई। उनका चरित्र भारत के लिए प्रेरणा का दीप स्तम्भ बन गया। मूल नाम मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल था हिन्दू धर्म में दीक्षित होकर ‘भगिनी निवेदिता’ बन गई और सारा जीवन भारत की अपेक्षित जनता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनके जीवन का कण-कण और क्षण-क्षण भारत भक्ति के महायज्ञ में आहुति बन कर समर्पित हो गया। पुस्तक उस समर्पण की प्रेरणा प्रद गाथा है। उनके जीवन तथा भारत के नव जागरण के कार्यों का अत्यन्त भावपूर्ण चित्रण लेखक ने अपनी लेखनी से किया है जिसको पढ़कर हमारे जीवन में भी अपनी लेखनी से किया है जिसको पढ़कर हमारे जीवन में भी अपने देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा उत्पन्न हो जाती है। आशा है कि पाठक पुस्तक का अवलोकन तथा पाठन इसी दृष्टि से तथा अपने अन्दर क्रिया शक्ति जगाने के लिए करेंगे।
| Weight | .090 kg |
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| Dimensions | 24.13 × .5 × 18.03 cm |
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