Shishu Vatika Ek Dhrishti Mein- शिशु वाटिका एक दृष्टि में (चार्ट)

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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

देश को संस्कारवान, विद्वान और भारत के यश की पताका को विश्व में फैलाने वाले नागरिक हमारी शिशु वाटिकाओं में ही निर्माण किये जा रहे हैं। एक दृष्टि में शिशु वाटिका के विद्यालयों, वहां की शिशु शिक्षा पद्धति, शिशु वाटिका की संरचना, इस संगठन की योजना और उससे प्राप्त होने वाले फल को एक विहंगम दृष्टि डालते ही ग्रहण करने के लिए चार्ट की योजना की गई है जिसको देखते ही सारी शिश वाटिका पद्धति प्रदर्शित हो जाती है और आसानी से समझ में आ जाती है।

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