भारतीय ऋषि परम्परा के आधुनिक दैदीप्यमान नक्षत्र स्वामी दयानंद सरस्वती का उज्ज्वल प्रकाश एवं उनका सत्यार्थप्रकाश विशव का मार्ग दर्शक है। मूलशंकर से शुद्ध चैतन्य और फिर सन्यासी के ध्यान – पथ पर ‘ सत्यं परं धीमहि’ निरंतर बना रहा। उनका जीवन लोकहितार्थ था। सामाजिक कुरीतियों यथा धर्मान्धता, छुआ छूत, अंधविशवास, पाखण्ड, जातिगत भेदभाव, अशिक्षा का घोर विरोध करने वाले, स्त्री स्वतंत्रता और शिक्षा के अदम्य पक्षधर स्वामी दयानंद जीवनभर इनके लिए प्रयास करते रहे।’ सत्य के प्रकाशक स्वामी दयानंद सरस्वती महाऋषि दयानंद जी का प्रेणाधायी जीवन चरित है। इसमें वर्णित स्वामी जी के जीवन की अनेक घटनाएं और इनके निहितार्थ बाल व किशोर विद्यार्थियों के जीवन को स्वास्थ, सुंदर और सुयोग्य तथा संस्कारी बना राष्ट्र सेवा के मार्ग पर अग्रसर करेंगें।
Teerthakar Mahavir- तीर्थकर महावीर
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जीवन में सब सुख की ही कमाना करते हैं, दुःख आने पर सब विचलित हो जाते है किंतु दुःख के मूल कारण को जान समझ कर उससे बचने का और स्थायी सुख का मार्ग खोजने का प्राय: कोई प्रयास नही करना चाहता। अध्यात्म के मार्ग को दुष्कर और सामान्य, संसारीजनों के लिए दुष्प्राप्य मान लिया जाता है। ऐसे में, संसार में रहते हुए सर्वसाधारण जीवनचर्या का निर्वाह करते हुए भी कैसे अध्यात्म के परम तत्व को अनुभव किया जा सकता है, इस प्रकार की जीवन दृष्टि की सप्ष्ट झलक मिलती है भगवान महावीर के जीवन चरित्र और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों से। भगवान महावीर की 2550 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाएं इस देश की अगली पीढ़ी तक पहुंचे, इस दृष्टि से उनके जीवन चरित्र तथा शिक्षाओं को सरल -सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
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Dimensions | 21.6 × .5 × 13.97 cm |
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